'..बरखा कै बूंद गिनै गुइया'

सरेनी:सैकड़ोंसालपुरानीलखनापुरगांवमेंफागकीपरंपराकायमहै।यहांपरहोलीकेएकपहलेदिनसेढोलकवमजीरेकीधुनपरलोगफागकीशुरुआतकरदेतेहैं।हरकिसीकेमनकीतरंगफागसेजवानहोजातीहै।हरदेहरीपरफागगाईजातीहै।चाहेकितनीभीरातनहोजाए।

गांवकीढोलकवनगाड़ेकीमढ़ाईआजभीसरेनीकेलल्लूकुरैशीवरज्जूकुरैशीकरतेहैं।बचपनमेंयहकामउनकेपूर्वजकरतेरहेहैं।''फाग'काअभ्यासगांवकेयुवाबसंतपंचमीसेहीशुरूकरदेतेहैं।हालांकिगांवमेंपहलेसेदेहरियोंकीतादादतीनसेचारगुनीहोचुकीहैलेकिनकिसीडेहरीकोछोड़ाजाताहै।रातमेंयुवावर्षोंपुरानीपरम्पराकोनिभानेसेपीछेनहींहटते।इसगांवकेभगवतीप्रसादश्रीवास्तव,धुन्नीलोहार,सरस्वतीप्रसाद,बाबूलाल,राजबहादुर¨सहहवलदार,महराजदीनसाहू,लोटनपासी,ने'फाग'कीजोअमिटपरंपरागांवमेंछोड़ीहैउसेगांवकेयुवाअभीभीसंजोयेहुएहैं।गांवकेसुन्दर¨सह,बनारसीलाल,कहतेहैकिइसगांवकीफागमेंजहां¨हदू,मुस्लिमएकताकीझलकदिखाईदेतीहैवहींहरदरवाजेपहुंचनेसेभी'एकता'केसूत्रमेंबंधेरहनेकीप्रेरणामिलतीहै।ग्रामप्रधानदेवेशसाहूकहतेहैंकिगांवकेयुवाओंकाउत्साहबढ़ानेकेलियेउनसेजोभीबनपड़ेगाकरतेहैंऔरकरतेरहेंगे।

लोहारजातिकेगायकनेशुरूकराईथीफाग:लखनापुरकेप्रकाशश्रीवास्तवसरकारीकर्मचारीरहेहैं।उम्र70सालहोचुकीहैअबभीफागकेप्रतिलगावहै।वेबतातेहैंकिउनकेगांवमेंहोलीमेंदोदिनतकफागकीपरम्पराथीजोआजभीकायमहै।'फाग'कीशुरुआतएकलोहारजातिकेगायकनेशुरूकरायीथी,उसकेसम्मानमेंफागकाशुभारम्भभीउसीकीदेहरीसेहोताहै।इसकेबादफागआधेसेज्यादागांवमेंपहलेदिनदरवाजेदरवाजेगायीजातीहैअगलेदिनफागलखनापुरकेशेषभागकोपूराकरथानासरेनी,लखनापुरकीग्रामपंचायतकीभूमिपरबनाहै।गांववालेइसेभीगांवकीदेहरीमानकरवहांबैठकर'बरखाकैबूंदगिनैगुइया'आदिफागसुनातेहैंऔरफिरखड़ेहोकर'बड़ामतवालाडमरूवाला',आदिभीगातेहैंऔरफिरसभीचलतेसमययहांभी'सदाअनन्दरहेयहुद्वारामोहनख्यालैहोरीहो'केसाथविदाकरतेहैं।इसकेबादफागसीधेसरेनीग्रामपंचायतमेंस्थितठाकुरबीरबाबाकीसमाधिस्थलपरपहुंचतीहै।फागकोइसस्थानतकपहुंचनेमेंरातके11बजजातेहैंऔरवहांसरेनीकीफागटोलीइनसभीकेइंतजारमेंरुकीरहतीहैफिरदोनोंफागटीमबारी-बारीसेफागगीतप्रस्तुतकरतीहै।कहतेहैंकिउन्हेंइसबातकीखुशीहैकिसैकड़ोंवर्षोंपूर्वशुरूकीगयीयहपरंपराआजभीकायमहै।

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