दादी का इकलौता सहारा था आशु, दिल्ली आंदोलन में मौत
जागरणसंवाददाता,संगरूर
नजदीकीगांवबीरकलांकेएकमजदूरकीदिल्लीमेंकिसानआंदोलनकेदौरानरविवारसुबहतंबूमेंसोतेहुएमौतहोगई।मजदूरकीमौतकीखबरसेपरिवारहीनहीं,पूरेगांवमेंशोककीलहरहै।गरीबपरिवारसेसंबंधरखनेवालेउक्तमजदूरकीमौतकेबादपरिवारमेंकेवलमृतककीदादीहीरहगईहै।मजदूरकेमाता-पिताकीपहलेहीमौतहोचुकीहै।शवअभीगांवनहींपहुंचाहै।मजदूरकीमौतकेकारणोंकाबेशकअभीस्पष्टतौरपरपतानहींलगपायाहै,लेकिनमौतकाकारणहार्टअटैकमानाजारहाहै।
सरपंचबलजिदरसिंह,पंचवमार्केटकमेटीसदस्यकुलवंतसिंह,पंचभजनसिंह,पंचमिट्ठूसिंहनेबतायाकिहरफूलसिंहउर्फआशुपुत्रशेरसिंहकापरिवारगरीबहै।परिवारकेपासकोईकृषियोग्यजमीननहींहै।आशुमजदूरीकरकेअपनावअपनीदादीमहेंद्रकौरकापेटभरताथा।घरकेहालातइसकदरदयनीयहैंकिमकानकेएककमरेमेंहीदादी-पोतागुजाराकरतेथे।मजदूरीकरनेवालाहरफूलसिंह22जनवरीकोफिरसेदिल्लीचलागयाथा।वहएकसप्ताहकेलिएहीघरआयाथा।जबसेदिल्लीमेंकिसानोंकाकृषिकानूनोंकेखिलाफसंघर्षजारीहै,तबसेहरफूलसिंहकईबारदिल्लीजाचुकाथा।
-------------------------दादीबोली,वाहेगुरुनेछीनलियाआखिरीसहारा
दादीमहेंद्रकौरनेकहाकिहरफूलयहीबातकहकरघरसेगयाथाकिवहकानूनरदहोनेकेबादहीघरवापसलौटेगा।कहताथाकिसंघर्षकेलिएहरकुर्बानीदेनेकोतैयारहै।बेशकउनकेपासकृषिकेलिएजमीननहींहै,लेकिनखेतोंमेंकामकाजकरकेहीमजदूरीमिलतीथी,जिससेघरकागुजाराचलताथा।वहकहताथाकिअगरजमीनहीनहींरहेगीतोमजदूरीकहांकरेंगेवमजदूरीनहींकरेंगेतोपेटकैसेभरेंगे।इसलिएहीवहपहलेदिनसेहीसंघर्षमेंजुटाहुआथा।हरफूलकीमौतकेबादउसकाआखिरीसहाराभीवाहेगुरुनेछीनलिया।
-----------------------ग्रामीणोंमेंरोष,केंद्रसरकारकापुतलाफूंका
हरफूलसिंहकीमौतकीखबरसुनतेहीरोषकेचलतेग्रामीणोंनेगांवकेमुख्यचौकमेंकेंद्रसरकारकापुतलाफूंका।गांवकीपंचायतनेएलानकियाकिगांवकेमुख्यगेटकानामहरफूलसिंहकेनामपररखेंगे,ताकिकिसानआंदोलनमेंउसकीकुर्बानीकोहमेशायादरखाजासकें।जिलायोजनाबोर्डकेचेयरमैनराजिदरराजाबीरकलांनेएलानकियाकिपूरीपंचायत,पूरागांवहरफूलसिंहकेपरिवारकेसाथहै।अतिगरीबीकेदौरसेगुजररहेमजदूरपरिवारमेंपीछेबचीमृतककीदादीमहेंद्रकौरकोहरप्रकारकीमददप्रदानकीजाएगी।गांवकेकिसाननेताराजसिंहबीरकलां,मेलासिंह,भोलासिंहनेसरकारसेमांगकीकिमृतकहरफूलसिंहकीदादीमहेंद्रकौरकीपारिवारिकस्थितिकोदेखतेहुएआर्थिकमददप्रदानकीजाए।