मां जोगिनी माता मंदिर, बाकल
संवादसहयोगी,बबेरू:बबेरूक्षेत्रकेयमुनातटवर्तीस्थितबाकलगांवमेंमांजोगिनीमातामंदिरमेंचैत्रनवरात्रकेअवसरपरभक्तोंकीखासीभीड़उमड़रहीहै।नवरात्रोंमेंमंदिरपरिसरमेंमेलेसानजारारहताहै।पर्वकोलेकरइलाकेकेलोगोंकेसाथदूर-दराजसेमांकेदर्शनकोलोगपहुंचरहेहैं।प्राकृतिकसौंदर्यकेबीचमनमोहकइसमंदिरमेंहरदिनभक्तोंकारेलालगारहताहै।आसपासकेकरीबचारदर्जनगांवोंकेलोगोंकीअटूटश्रद्धाइसकदरहैकिकिसीभीघरेलूयासामाजिककार्यकीशुरुआतकेपूर्वयहांपरमांकेदर्शनअवश्यकरतेहैं।
मंदिरकाइतिहास
जोगिनीमातामंदिरकीस्थापनाकोलेकरकईकिवदंतियांप्रचलितहैं।बतातेहैंकिपरासगांवकाएकव्यक्तिकलकत्तामेंमजदूरीकरताथा।एकरातउसेस्वप्नमेंमांजोगिनीनेदर्शनदिए।कहाकिमैंपासकेहीएकजंगलमेंमिट्टीकेअंदरहूं,मुझेअपनेगांवमिट्टीकेपकेहुएखप्परमेंरखकरलेचलो।नींबूरखकररास्तेभरहवनजरूरकरना।दूसरेदिनमजदूरस्वप्नवालेस्थानपरपहुंचाऔरमिट्टीखोदकरमांकीमूर्तिनिकालली।कहेहुएकथनोंकेमुताबिकवहट्रेनसेबांदाआया।इसकेबादपैदलबबेरूहोतेहुएसमसुद्दीनपुरगांवकेरास्तेपरासजारहाथा।जैसीहीबाकलगांवकेपासयमुनानदीकिनारेपहुंचातोनींबूऔरहवनखत्महोगया।उसनेमूर्तितोरखकरपूजनसामग्रीकाइंतजामकियाऔरदोबाराउठाकरगांवलेचलनेकीकोशिशकी।लेकिनमूर्तिकोवहउठानहींसका।इसस्थानकानामबाकलकीदेवीकेनामसेभीजानाजाताहै।
मंदिरकीविशेषता
जिलामुख्यालयसेकरीबसाठकिलोमीटरदूरस्थितमांजोगिनीमंदिरकीस्थापनाके255सालगुजरचुकेहैं।प्राकृतिकसौंदर्यऔरमंदिरकीभव्यताभक्तोंकोअपनीओरखींचलेतीहै।भागदौड़भरी¨जदगीमेंकुछवक्तइसमंदिरकेपासगुजारकरलोगशांतिऔरसुकूनकाअहसासकरतेहैं।मान्यताहैकिमांसेजिसनेजोमांगाउसकीसभीमुरादेंपूरीहुईहैं।मान्यतापूरीहोनेकेबादयहांपरभंडारेवचढ़ावेकादौरसालभरजारीरहताहै।
क्याकहतेहैंलोग
-मांयमुनाकेतटपरविराजमानभगवतीकायहमंदिरसंगमकीतरहप्रतीतहोताहै।यहांपरकिसीनेकुछभीमांगावहइसस्थानसेखालीनहींलौटताहै।-मुखिया,पुजारी