रामनवमी पर तोपचांची के इस गांव से देश के कोने-कोने में जातीं लाठियां, पारंपरिक हथियार भी लेने आते लोग
संवादसहयोगी,तोपचांची:धनबाद-गिरिडीहकीसीमापरजीटीरोडकेकिनारेबसेअमलखोरीतथामधुपुरगांवकीपूरेदेशमेंअलगपहचानहै।अमलखोरीगांवधनबादजिलेमेंहै,जबकिमधुपुरगांवगिरिडीहजिलेकेअधीनहै।इनदोनोंगांवोंकीअपनीखासपहचानहै।हिन्दू-मुस्लिममिश्रितआबादीवालेदोनोंगांवकाप्रमुखकारोबारपरंपरागतहथियार लाठी-भाला,तलवार,ढाल,फरसातथाभुजालीकीबिक्रीकाहै।पिछले 25वर्षोंसेदोनोगांवकेकरीब50परिवारबांसकी लाठी तथापारंपरिकहथियारोंकीदुकानजीटीरोडकेकिनारेलगाकरअपनाऔरअपनेपरिवारोंकाभरणपोषणकररहेहैं।
सामान्यतौरपरदिल्लीसेकोलकाताकोजोड़नेवालेजीटीरोडसेगुजरनेवालेपारंपरिकहथियारोंकेशौकीनअक्सरयहांरुकतेहैंऔरअपनेपसंदकाहथियारखरीदकरलेजातेहैं,लेकिनरामनवमीतथामोहर्रममेंइसक्षेत्रकामहत्वबढ़जाताहै।इनदोनोंत्योहारोंकेमौकेपरयहांपारंपरिकहथियारोंकेसाथलाठी,तलवार,भुजालीआदिकीखरीदारीकेलिएराज्यकेकईजिलोंकेअलावाबंगाल,बिहारसमेतअन्यकईराज्योकेलोगपहुंचतेहैं।
दोसालतकमंदाथाकारोबार:2020और21मेंकोरोनामहामारीकेकारणरामनवमीतथामोहर्रमकेजुलूसपररोकलगादियागयाथा,जिसकेकारणपूरेदोसालयहधंधामंदारहा।इसवर्षसरकारनेजुलूसपरलगेप्रतिबंधकोहटादियाहै,जिसकेकारणएकबारफिरयहधंधाअपनीरफ्तारपकड़रहाहै।
बांसकेसहारेजीवनकीआस:जीटीरोडकेकिनारेचलरहींयहदुकानेंपारसनाथपहाड़कीतलहटीमेंबसेआदिवासीसमुदायकेलोगोंकेलिएभीवरदानबनीहुईहैं।नक्सलप्रभावीक्षेत्रकेपारसनाथपहाड़कीतलहटीमेंबसेढोलकथा,सिमराढाबसमेतकईगांव,जहांरोजगारकीघोरकमीहै,वहांकेलोगपहाड़ीबांसकोकाटकरयहांबेचतेहैंजिसकोआगमेंतपाकर लाठी बनाईऔरबेचीजातीहैं।कहाजाताहैकिपहाड़ीबांससेबनी लाठियां मजबूतहोतीहैं।यहीकारणहैकिइनदुकानोंमेंसबसेज्यादा लाठियों कीबिक्रीहोतीहै।पहाड़सेबांसलानेवालेआदिवासीग्रामीणोंकोएक लाठी पर8से10रुपयेतककीकमाईहोजातीहै,जबकिदुकानदार20से60रुपयेतकमेंलाठियांबेचतेहैं।
बोकारोऔरपंजाबसेयहांलायेजातेहथियार:दूसरीओरपरंपरागतहथियारबोकारोजिलेकेभेंडरागांवतथापंजाबसेबनकरयहांआतेहैं।जोलोगपहाड़कीबांससेबनी लाठी कोखरीदनेकेलिएयहांरुकतेहैं,वहीपरंपरागतहथियारभीखरीदकरलेजातेहैं।
लाठीगांवकेनामसेमशहूर:सड़ककिनारेलाठियोंकीदुकानेंसजीहोनेकेकारणलोगइनदोनोंगांवोंकोलाठीगांवकेनामसेभीजानतेहैं।वैसेतोयहांदोगांवदोअलगजिलोंमेंहैं,लेकिनसड़कसेहोकरगुजरनेवालेलोगोंकेलिएदोनोंगांवोंकीसीमालाठियांहीनिर्धारितकरतीहैं।इनकेलिएतोयहबसलाठीगांवहीहै।